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एक बार की बात है एक पति पत्नी का जीवन बहुत अच्छा चल
रहा था, पर उनके बीच किसी न किसी बात को लेकर खट पट
रहती थी ।धीरे धीरे यह वाद विवाद बड़ने लग गए फिर एक
ऐसा हुआ की पत्नी ने न जाने क्या किया था की पति ने उसे
एक के बाद एक कई थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ दिए । पत्नी हर
सिचुएशन को शांति से हैंडल करने वाली होती है पर इस
बार पत्नी भी अशांत हो उठी की उसने अपनी चप्पल ही
निकाल कर पति की ओर दे फेंकी और चप्पल पति के
बालो को छूते हुए निकल गई । ये किस्सा यही पर खत्म
हो सकता था लेकिन पति ने इसे अपनी मर्दानगी का विषय
बना लिया और बात बढ़ती चली गई ।
Husband wife story |
आस पड़ोसी, रिश्तेदारों ने भी आग में घी डालने का काम
किया । किसी ने कहा जो औरत अपने पति को चप्पल से
मार सकती है तो वह अपने पति की क्या इज्जत करती होगी,
बाहर ही ऐसा हाल है तो अकेले में क्या क्या करती होगी,
ऐसी पत्नी पतिव्रता तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती, यह तो
बहु के नाम पर कलंक हैं । बीवी के मायके वाले कहा पीछे
रहनेवाले थे? किसी ने कहा जो स्त्री के साथ मारपीट करते है
उन्हे तो जेल भेज देना चाहिए । तो कोई और कहता जरूर
उसको कोई और पसंद आ गई होगी इसलिए यह पत्नी के साथ
अच्छे से नही रहता और मारपीट करता है ।
बात कोर्ट तक पहुंच गई । दोनों पक्षों ने एकदूसरे के खिलाफ
केस फाइल कर दिया ।
पत्नी ने दहेज और शारीरिक उत्पीड़न का तो पति ने चरित्रहीन
होने का का आरोप लगाया । 3 वर्षो से अधिक समय के लिए केस
चला था । इन 3 वर्षो के दौरान दोनों पति पत्नी अलग अलग रहे थे
इस समय के दौरान पति पत्नी की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई
थी । जो उनके करीबी थे वह पैसे के नाम पर मुंह फेर लेते थे, तो
कोई मोटे ब्याज से देने के लिए राजी होता ।
आखिर में वही हुआ जो मां बाप और रिश्तेदार चाहते थे' डायवोर्स' ।
पति पत्नी खुश हो गए और रिश्तेदार भी पर पांच साल की
सुखद शादी और एक सुंदर बेटी होने के बाद मिले इस डायवोर्स
से पत्नी मूक थी और पति शांत था ।
इत्तेफाक से दोनो पक्ष खुशी मनाने के लिए एक ही चाय की
टपरी पर बैठे, आमने सामने । पति पत्नी भी रिस्तेदारो से दूर
एक दूसरे के सामने मेज पर बैठे । पत्नी ने पति से कहा" अब
तो खुश होगे ना जो तुम चाहते थे वह ही हुआ है, मुबारक हो ।"
पति कहता है तुम भी जो चाहती थी वैसा ही हुआ है
congratulations
पत्नी ने पूछा" तलाक को तुम जीत का प्रतीक समझते हो?"
पति चुप रहा । थोड़ी देर की शांति के बाद पति ने कहा,"
मुझे तुम्हे 15 लाख रूपये अभी और हर महीने 13 हजार देने का
आदेश है । अभी मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मेरा जो सिटी में
फ्लैट है उसे में तुम्हारे नाम कर देता हूं ।"
पत्नी बोली," लेकिन उस फ्लैट की कीमत तो 30 लाख की है ।"
पति ने कहा" वो तो है लेकिन हमारी बेटी भी तुम्हारे साथ है,
आगे जाकर उसके खर्चे भी बड़ने लग जायेंगे तो तुम्हारे लिए
आसानी रहेंगी
पत्नी कहती है" नही नही मुझे तो सिर्फ 15 लाख रूपए ही देना
और तुम हर महीने 13 हजार तो देने ही वाले हो, तो में ऐसी में
मैनेज कर लूंगी । अगर तुम्हारे पास 15 लाख भी नही है तब भी
बात नही है में मैनेज कर लुंगी ।"
दोनो फिर से शांत हो गए ।
पति सोचने लगा कितनी भोली और समझदार है ये औरत जो
समय पहले तक मेरी पत्नी थी । ये वही है जो कम से कम खर्चे में
घर चलाती और पैसे बचाकर मेरे जन्मदिन पर हमेशा मेरे लिए
नए कपड़े खरीद लाती और कभी बीमार भी हो जाती तो मेरे लिए
खाना भी बनाती और पैसे बचाने के लिए घरेलू नुस्खों से अपना
इलाज कर लेती मगर घर में कोई और बीमार होता तो तुरंत
डॉक्टर के पास लेकर जाती और इलाज करवाती । मेरी ही मति
मारी गई थी जो अपनी झूठी मर्दानगी के चक्कर में इतनी बड़ी
गलती कर बैठा ।
पत्नी के दिमाग में भी ऐसी ही उथल पुथल चल रही थी,"
पत्नी सोचती है की मेरा पति अभी भी वैसा का वैसा ही है
पहले भी खुद से ज्यादा हमारे बारे में सोचता था और अब भी मेरे
लिए वैसा ही सोच रहा है । ये वही आदमी है जो मेरी हर इच्छा पूरी
करता है और खुद की इच्छा को दबा लेता है । पता नही कोनसी
मनहूस घड़ी मे इनसे झगड़ा कर बैठी ।"
पति ने मौन तोड़ते हुए पूछा अब तुम्हारा अस्थमा कैसा है अब?
क्या अब भी दौरे पड़ते है?
पत्नी" हा पड़ते है, लेकिन पहले से ज्यादा क्योंकि अक्सर इन्हेलर
भूल जाया करता हु, याद दिलाने के लिए तुम जो नही हो अब!"
पत्नी ने पूछा, तुम बताओ" अब तुम्हारे कमर का दर्द कैसा है?
ज्यादा तकलीफ तो नही होती?"
पति हल्का सा मुस्कराते हुए बोला," अभी भी होता है,
अब तो पेट में भी crambs उठते है ।"
वो तो होगा ही तुम योगा या कसरत भी तो नहीं करती
हो ।" पत्नी ने कहां ।
पत्नी के आंखों में आंसू आ गए वो बोली," तुम्हे मेरे चरित्र पर
सवाल नही उठाने चाहिए थे, तो ये परिस्थिति आती ही नहीं ।"
पति मुझसे गलती हो गई । मै लोगो के बहकावे मै आ गया था ।"
और" तुमने भी तो मुजपर दहेज का इल्जाम लगाया था"
मैने भी गलती की और इस बात का मुझे भी बहुत पछतावा
हुआ ।" पत्नी ने कहा ।
पति कुछ कहना चाह रहा था लेकिन हीचकीचा रहा था ।
पत्नी ने पुछा कुछ कहना चाहते हो? बोला," क्या सब पहले
जैसा नहीं हो सकता?" " क्या मतलब?" पत्नी बोली ।
" मतलब की हम फिर से पहले की तरह, पति पत्नी बनकर, सच्चे
दोस्त बनकर नहीं रह सकते?" पति बोला ।
" पर ये डायवोर्स के पेपर!" पेपर दिखाते हुए पत्नी ने कहां ।
" फाड़ देते है!" पति ने अपने पास रखें डायवोर्स के पेपर
फाड़ते हुए कहां । पत्नी ने भी अपने पास रखें पेपर फाड़ दिए ।
रिश्तेदार और मां बाप सब हैरान हो गए । पति पत्नी एक दूसरे के
हाथ में हाथ पकड़े अपने घर की तरफ चले गए ।
दोस्तो ये कहानी उन सभी पति पत्नी के लिए बड़ी सिख है जो
हर छोटी छोटी बातो पर लड़ते है और इन झगड़ो को बड़ा करके
अलग होने का डिसीजन लेते है और झगड़ा तो एक सिक्के के दो
पहलुओं की तरह है । यह तो चलता ही रहेगा । इसलिए छोटी
छोटी बातों को इग्नोर करो और हस्ते हस्ते जीवन यापन करो ।